बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में रामू और श्यामू नाम के दो गहरे दोस्त रहते थे। दोनों बचपन से एक-दूसरे के साथ खेले थे, पढ़े थे, और साथ में हर कठिनाई का सामना किया था। उनकी दोस्ती गाँव भर में मशहूर थी। लोग कहते थे कि अगर कोई असली दोस्ती देखनी हो, तो रामू और श्यामू को देखो।
एक दिन, गाँव के पास के जंगल में एक बड़ा भालू आ गया। गाँव वालों को डर था कि भालू कभी भी गाँव पर हमला कर सकता है। गाँव के मुखिया ने ऐलान किया, "जो कोई भी इस भालू को भगाने का उपाय करेगा, उसे ईनाम मिलेगा।"
रामू और श्यामू ने तय किया कि वे दोनों मिलकर इस भालू से गाँव को बचाएंगे। वे दोनों जंगल की ओर निकल पड़े। चलते-चलते रामू ने श्यामू से कहा, "तुम्हें डर तो नहीं लग रहा?"
श्यामू हंसते हुए बोला, "जब तुम साथ हो, तो मुझे किसी बात का डर नहीं है। हम साथ हैं, और साथ मिलकर हर मुसीबत से लड़ेंगे।"
वे दोनों जंगल के अंदर गहरे चले गए। अचानक, उनकी नज़र एक पेड़ के पीछे से निकलते हुए भालू पर पड़ी। भालू बहुत बड़ा और भयंकर था। रामू और श्यामू दोनों घबरा गए। रामू ने जल्दी से पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया। वह तेजी से पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन श्यामू पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था।
श्यामू ने इधर-उधर देखा, और जब कोई रास्ता नहीं मिला, तो वह जल्दी से जमीन पर लेट गया और अपनी सांसें रोक लीं, जैसे कि वह मर गया हो। उसने सुना था कि भालू मरे हुए लोगों को नहीं मारता।
भालू धीरे-धीरे श्यामू के पास आया। उसने श्यामू के चारों ओर घूमा, उसकी गर्दन सूंघी और फिर थोड़ी देर बाद चला गया। रामू यह सब पेड़ के ऊपर से देख रहा था। जब भालू चला गया, तो रामू नीचे उतरा और श्यामू से हंसते हुए पूछा, "अरे, भालू तुम्हारे कान में क्या फुसफुसा रहा था? ऐसा लगा जैसे वह तुम्हें कुछ कह रहा हो।"
श्यामू गंभीरता से उठकर खड़ा हुआ और बोला, "भालू ने मुझे कहा कि जो दोस्त मुसीबत के समय तुम्हें छोड़कर भाग जाए, वह सच्चा दोस्त नहीं होता।"
रामू को यह सुनकर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने श्यामू से माफी मांगी। श्यामू ने माफी तो स्वीकार कर ली, लेकिन उसने भी समझ लिया कि सच्ची दोस्ती वही होती है, जो हर मुश्किल घड़ी में साथ दे।
इसके बाद, उनकी दोस्ती पहले जैसी तो नहीं रही, लेकिन दोनों ने इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख ली: **सच्चा दोस्त वही होता है, जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहे, चाहे हालात कैसे भी हों।**
सीख:
सच्ची दोस्ती का मतलब सिर्फ अच्छे समय में साथ होना नहीं है, बल्कि कठिन समय में भी अपने दोस्त के साथ खड़ा रहना ही असली दोस्ती की पहचान है।
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