बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक गरीब लेकिन ईमानदार लड़का रहता था। वह हर दिन मेहनत करता था, लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट भरता था। मोहन के पास कुछ ज्यादा नहीं था, लेकिन उसकी ईमानदारी और सच्चाई पूरे गाँव में मशहूर थी।
एक दिन मोहन जंगल में लकड़ियाँ काटने गया। वह एक बड़े पेड़ के पास पहुंचा और कुल्हाड़ी से पेड़ को काटने लगा। काटते-काटते उसकी कुल्हाड़ी का हैंडल छूट गया, और कुल्हाड़ी सीधी जाकर पास के एक गहरे नदी में गिर गई। मोहन ने कुल्हाड़ी को पानी में गिरते देखा, और उसका दिल बैठ गया। वह जानता था कि बिना कुल्हाड़ी के वह काम नहीं कर सकता, और उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने के पैसे भी नहीं थे।
मोहन नदी के किनारे बैठकर जोर-जोर से रोने लगा। तभी, अचानक नदी में से एक जल देवी प्रकट हुईं। उन्होंने मोहन से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो, बालक?”
मोहन ने रोते हुए जवाब दिया, “मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है, और मैं बिना कुल्हाड़ी के काम नहीं कर सकता। मेरे पास इसे खरीदने के लिए पैसे भी नहीं हैं।”
जल देवी ने मोहन की बात सुनी और नदी में डुबकी लगाई। थोड़ी देर बाद, वह एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आईं और मोहन से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन ने ईमानदारी से जवाब दिया, “नहीं देवी, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी, साधारण और पुरानी।”
जल देवी फिर से पानी में गईं और इस बार एक चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आईं। उन्होंने फिर से मोहन से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन ने फिर से सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं देवी, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
आखिरकार, जल देवी ने एक साधारण लोहे की कुल्हाड़ी बाहर निकाली और मोहन से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने खुशी से कहा, “हाँ देवी, यह मेरी कुल्हाड़ी है!”
मोहन की ईमानदारी देखकर जल देवी बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने मोहन से कहा, “तुम्हारी ईमानदारी मुझे बहुत पसंद आई। इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारी कुल्हाड़ी के साथ-साथ सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी इनाम में देती हूँ।”
मोहन ने देवी का धन्यवाद किया और अपने गांव वापस आ गया। जब गाँव वालों ने देखा कि मोहन के पास सोने और चांदी की कुल्हाड़ी है, तो वे बहुत हैरान हुए। मोहन ने सबको सारा किस्सा सुनाया, और गाँव के लोग उसकी ईमानदारी की प्रशंसा करने लगे।
इस घटना के बाद, मोहन न केवल अपनी मेहनत से बल्कि अपनी ईमानदारी से भी मशहूर हो गया। उसकी यह सच्चाई और ईमानदारी उसे जीवन में बहुत ऊँचाई तक ले गई, और वह हमेशा दूसरों के लिए एक प्रेरणा बना रहा।
सीख:
ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर हम जीवन में ईमानदार रहें, तो भगवान और किस्मत खुद हमारी मदद करते हैं।
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